मुख्य शीर्षक: कृष्ण जन्माष्टमी( Krishna Janmashtami ) वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है|
श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे केवल जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत और विश्व में अपार श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों को सजाते हैं, कृष्ण लीलाओं का मंचन करते हैं और मध्यरात्रि में कान्हा के जन्म का जश्न मनाते हैं।
आइए, इस दिव्य त्योहार के हर पहलू को विस्तार से जानें ताकि आप इसे पूरे विधि-विधान और भक्ति-भाव के साथ मना सकें।
इस ब्लॉग में आप जानेंगे:
- कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की सही तिथि और शुभ मुहूर्त
- घर पर जन्माष्टमी की सरल और संपूर्ण पूजा विधि
- जन्माष्टमी व्रत कथा और इसका महत्व
- जन्माष्टमी पर बनाए जाने वाले विशेष भोग और व्यंजन
- घर पर जन्माष्टमी मनाने के अद्भुत तरीके
- प्रियजनों को भेजने के लिए जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Krishna Janmashtami 2025 Date and Time)
साल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा।
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: (पंचांग के अनुसार अपडेट करें)
- अष्टमी तिथि समाप्त: (पंचांग के अनुसार अपडेट करें)
- निशिता पूजा का समय: मध्यरात्रि 12:40 बजे से 01:21 बजे तक (16 अगस्त)
- व्रत पारण का समय: 16 अगस्त को दोपहर 12:04 बजे के बाद
यह तिथियां और समय विभिन्न पंचांगों के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं, इसलिए अपने स्थानीय पंडित से पुष्टि करना उचित है।
घर पर जन्माष्टमी की सरल पूजा विधि (Krishna Janmashtami Puja Vidhi at Home)
घर पर जन्माष्टमी का पूजन करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। यहाँ एक सरल विधि दी गई है:
पूजा सामग्री की सूची:
- भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप (लड्डू गोपाल) की मूर्ति
- एक झूला या पालना
- चौकी और उस पर बिछाने के लिए पीला कपड़ा
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- गंगाजल, शुद्ध जल
- मोर पंख, बांसुरी, वैजयंती माला
- पीले वस्त्र, मुकुट और अन्य श्रृंगार सामग्री
- फल, फूल (विशेषकर पीले), तुलसी दल
- माखन-मिश्री, पंजीरी, और अन्य भोग
- धूप, दीप, कपूर, चंदन, कुमकुम
पूजा के चरण: Krishna Janmashtami
- व्रत का संकल्प: जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।
- मंदिर की सफाई और सजावट: अपने घर के मंदिर को साफ करें। चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर लड्डू गोपाल को विराजमान करें। मंदिर को फूलों, रोशनी और रंगोली से सजाएं।
- बाल गोपाल का अभिषेक: मध्यरात्रि में, जब भगवान का जन्म हुआ, तो एक बड़े पात्र में लड्डू गोपाल को रखें। सबसे पहले शुद्ध जल से, फिर पंचामृत से और अंत में गंगाजल से स्नान कराएं। अभिषेक करते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- श्रृंगार: अभिषेक के बाद, कान्हा को नए पीले वस्त्र पहनाएं। उनका मुकुट, माला, मोर पंख और बांसुरी से सुंदर श्रृंगार करें।
- आरती और भोग: अब भगवान को झूले में बैठाकर धीरे-धीरे झुलाएं। धूप, दीप और कपूर से उनकी आरती करें। इसके बाद उन्हें माखन-मिश्री, पंजीरी और अन्य बनाए गए व्यंजनों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल अवश्य शामिल करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

श्री कृष्ण जन्म कथा (Krishna Janmashtami Katha)
द्वापर युग में, मथुरा का राजा कंस एक अत्याचारी शासक था। उसने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर सिंहासन हड़प लिया था। कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत स्नेह करता था और उसका विवाह वासुदेव से कराया। जब वह देवकी को विदा कर रहा था, तभी एक आकाशवाणी हुई, “हे कंस, देवकी की आठवीं संतान ही तेरी मृत्यु का कारण बनेगी।”
यह सुनकर कंस भयभीत हो गया और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। उसने एक-एक करके देवकी की सात संतानों को जन्म लेते ही मार डाला। जब देवकी आठवीं बार गर्भवती हुईं, तो कारागार में कड़े पहरे लगा दिए गए।
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की घनघोर अंधेरी रात में, रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागार में दिव्य प्रकाश फैल गया, पहरेदार सो गए और वासुदेव की बेड़ियां खुल गईं। भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि वे इस बालक को तुरंत गोकुल में अपने मित्र नंद बाबा के घर छोड़ आएं और वहां जन्मी कन्या को यहां ले आएं।
वासुदेव ने बालक को एक टोकरी में रखकर उफनती यमुना नदी को पार किया। शेषनाग ने स्वयं फन फैलाकर बालक को बारिश से बचाया। वासुदेव ने कान्हा को यशोदा मैया के पास सुला दिया और कन्या को लेकर वापस कारागार आ गए। कंस ने जब उस कन्या को मारना चाहा, तो वह बिजली बनकर आकाश में उड़ गई और भविष्यवाणी की, “तुझे मारने वाला तो गोकुल में पहुंच चुका है।” अंततः, श्री कृष्ण ने बड़े होकर कंस का वध किया और पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया।

जन्माष्टमी के विशेष भोग और व्यंजन (Krishna Janmashtami Special Recipes)
जन्माष्टमी का व्रत फलाहार और विशेष व्यंजनों के साथ किया जाता है। कान्हा को भोग लगाने के लिए कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:
- धनिया पंजीरी: यह जन्माष्टमी का मुख्य प्रसाद है। इसे धनिया पाउडर को घी में भूनकर, उसमें पिसी चीनी, मेवे और नारियल मिलाकर बनाया जाता है।
- माखन-मिश्री: यह कान्हा का सबसे प्रिय भोग है।
- पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बना यह दिव्य पेय अभिषेक के लिए आवश्यक है।
- नारियल पाग: नारियल, चीनी और मेवों से बनी यह स्वादिष्ट बर्फी भी भोग में चढ़ाई जाती है।
- गोपालकाला: यह पोहा, दही, खीरा और मसालों से बना एक स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन है।
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं (Happy Krishna Janmashtami Wishes in Hindi)
इस पावन अवसर पर अपने प्रियजनों को यह शुभकामनाएं भेजें:
- माखन का कटोरा, मिश्री का थाल, मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार, राधा की उम्मीद, कन्हैया का प्यार, मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार! कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
- नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की। हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की। आपको और आपके परिवार को जन्माष्टमी की ढेरों बधाइयां!
- राधा की भक्ति, मुरली की मिठास, गोपियों का रास, सब मिलकर बनाते हैं, जन्माष्टमी का दिन खास। हैप्पी जन्माष्टमी 2025!
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निष्कर्ष – Krishna Janmashtami
कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, धर्म, और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। यह दिन हमें भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को याद दिलाता है, जो आज भी प्रासंगिक हैं। इस जन्माष्टमी, आप पूरे भक्ति भाव से कान्हा का जन्मोत्सव मनाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
!! जय श्री कृष्णा !!
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